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मानसून यानि सेहत के लिहाज से बीमारियों का मौसम शुरू हो गया है। अस्पतालों के आउटडोर मरीजों से हाउसफुल हो गए हैं। वायरल बुखार, कफ-कोल्ड जैसी बीमारियों के साथ स्किन एलर्जी के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। साथ ही नाक और आंख की एलर्जी के मरीजों में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
मानसून यानि सेहत के लिहाज से बीमारियों का मौसम शुरू हो गया है। अस्पतालों के आउटडोर मरीजों से हाउसफुल हो गए हैं। वायरल बुखार, कफ-कोल्ड जैसी बीमारियों के साथ स्किन एलर्जी के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। साथ ही नाक और आंख की एलर्जी के मरीजों में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
मानसून में जहां वेक्टर बोर्न और फूड बोर्न डिजीज बढ़ती हैं, वहीं स्किन एलर्जी जैसे स्किन में लालपन होना, खुजली होना और चकते पडऩे जैसे लक्षण लेकर भी मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। डॉक्टरों की मानें तो स्किन एलर्जी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, तुरंत अच्छे डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। ताकि एंटी एलर्जिक दवा लेकर बचाव किया जा सके। आपको बता दें, मानसून के इस सीजन में स्किन एलर्जी होने का बड़ा कारण है मॉइश्चर। नमी अधिक बढ़ जाने की वजह से फंगस वाली बीमारियों होने की आशंका भी बढ़ जाती है। वहीं नमी में कई तरह के बेक्टीरिया भी पैदा होते हैं, साथ ही हाउस डस्ट माइट की वजह से भी एलर्जी हो सकती है। इसलिए इस समय घर और बाथरूम में सीलन न पैदा होने दें।
धूप आने दें ताकि कीटाणु और फंगस खत्म हो जाएं और पर्दे, कारपेट, गिलाफ आदि को समय-समय पर धोते रहें। बाइट : डॉ. आरके गुप्ता वीओ तीन : मानसून वैसे तो खुशनुमा मौसम है, लेकिन बीमारी की वजह से इस मौसम में खास सावधानियां बरतने की जरूरत भी है। चाहे बुखार हो या फिर मानसून स्किन एलर्जी खुद डॉक्टर न बनें, तुरंत सही समय पर सही डॉक्टर से मेडिकल एडवाइस लें।
Source: aajtak24
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